प्रिंस कुमार मिट्ठू की रिपोर्ट
बिहार की सियासत अब अपने हॉट ज़ोन में प्रवेश कर चुकी है।
नेताओं की धड़कनें तेज़ हैं और समर्थकों की निगाहें सोशल मीडिया की स्क्रॉलिंग स्क्रीन पर जमी हैं।
जैसे ही चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया, मधेपूरा में कयासों का तूफ़ान उठ खड़ा हुआ।
अब हर नुक्कड़, हर चौक पर एक ही सवाल है —“किसका टिकट कटा, किसको मिला?”
*सीमांचल में सियासी जंग — चार जिलों पर राजनेताओं की नज़र*
जिले के मधेपूरा में बिहारीगंज, आलमनगर में इस वक्त सियासी तापमान के सबसे गर्म बिंदु बन चुके हैं।
एनडीए और इंडी अलायंस दोनों खेमों के कार्यकर्ता और विश्लेषक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर
पोस्ट-दर-पोस्ट राजनीतिक रस्साकशी में उलझे हुए हैं।
भावी उम्मीदवारों के समर्थक हर ट्वीट, हर पोस्ट के ज़रिए अपने नेता को “फाइनल टिकट” दिलाने के लिए मुहिम छेड़े हुए हैं।
*पटना- में डेरा, एक्स पर सियासी बुखार*
टिकट की दौड़ में शामिल नेता इस वक्त एयरलाइंस से ज़्यादा उड़ान भर रहे हैं —
पटना में डेरा जमाए बैठे हैं।
सुबह होते ही पार्टी मुख्यालयों और बड़े नेताओं के घरों की सीढ़ियाँ चढ़ना उनका दैनिक रूटीन बन चुका है।
वहीं, एक्स पर उनके समर्थक डिजिटल ड्रम बजा रहे हैं।
जुगाड़ की गाड़ी ओवरस्पीड पर है,
और हर कोई इस कोशिश में है कि “नाम लिस्ट में रहे, न कि वेटिंग में।”
*सोशल मीडिया का सियासी महासंग्राम*
अब मैदान सिर्फ धरातल पर नहीं, बल्कि मोबाइल स्क्रीन पर भी सज चुका है।हर पार्टी का आईटी सेल मिशन मोड में है।
हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं, मेम्स बन रहे हैं, और राजनीतिक पंडितों के “थ्रेड” सियासी विश्लेषणों से भरे पड़े हैं। शब्दों की जंग ऐसी कि एक ट्वीट से सियासी तापमान 5 डिग्री बढ़ जाता है!
*“तू किसी और की हो जाओ तो बड़ी मुश्किल होगी…”*
यह पंक्ति अब टिकट कटने वालों की भावनात्मक स्थिति बयान कर रही है।
एक कद्दावर भाजपा नेता ने तो टिकट न मिलने पर पार्टी दफ्तर में आत्मदाह तक की चेतावनी दे दी।
वहीं, एक रिटायर्ड एएसपी ने एक्स पर लिखा —
> “कम किसी से नहीं हूं, पर टिकट की मारा-मारी से दूर हूं,
सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं होगा — अब देखना है, कितने तोपों की हवा निकलती है।” राजनीतिक गलियारों में यह बयान चर्चा का हॉट टॉपिक बना हुआ है।
*वक़्त ही बताएगा किसका चमकेगा सितारा*
अब सबकी नज़रें पटना और दिल्ली के गलियारों पर टिकी हैं।
नेता जी सब टिकट की उम्मीद में चुनावी परिक्रमा कर रहे हैं।
किसका भाग्य चमकेगा, किसका टिकट कटेगा —
यह आने वाला हफ्ता तय करेगा।
बिहार की राजनीति आज रियल और वर्चुअल दोनों मंचों पर अपनी पूरी रफ्तार पर है।
जहाँ सड़क से लेकर स्क्रीन तक, हर जगह सिर्फ “टिकट की चर्चा” है। इस हाईटेक चुनावी दौर में, टिकट सिर्फ एक कागज़ नहीं बल्कि राजनीतिक भविष्य का QR कोड बन गया है —जिसे स्कैन करते ही नज़र आता है कि कौन “इन” है और कौन “आउट”।